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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों के अनुसार सुखी और खुशहाल जीवन के लिए जरूरी है कि हर काम की शुरुआत शुभ मुहूर्त में करें और अशुभ को त्यागें।
नामकरण, मुंडन तथा विद्यारंभ जैसे संस्कारों के लिए तथा दुकान खोलने, सामान खरीदने-बेचने और ऋण तथा भूमि के लेन-देन और नये-पुराने मकान में प्रवेश के साथ यात्रा विचार और अन्य अनेक शुभ कार्यों के लिए शुभ नक्षत्रों के साथ-साथ कुछ तिथियों तथा वारों का संयोग उनकी शुभता सुनिश्चित करता है।किस कार्य के लिए इस संयोग का स्वरूप क्या और कैसा हो?
हिन्दू धर्म में शुभ मुहूर्त में कार्य करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। केवल विवाह ही क्यों, यहां तो किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले एक मुहूर्त निकाला जाता है, ताकि वह कार्य सफल हो सके। बच्चों की शादी से लेकर बहू के गृह प्रवेश तक, घर में आए नन्हें मेहमान के गृह प्रवेश से लेकर उसके नामकरण पर शुभ मुहूर्त….
विशेष मुहूर्त योग
नामकरण, मुंडन तथा विद्यारंभ जैसे संस्कारों के लिए तथा दुकान खोलने, सामान खरीदने-बेचने और ऋण तथा भूमि के लेन-देन और नये-पुराने मकान में प्रवेश के साथ यात्रा विचार और अन्य अनेक शुभ कार्यों के लिए शुभ नक्षत्रों के साथ-साथ कुछ तिथियों तथा वारों का संयोग उनकी शुभता सुनिश्चित करता है।किस कार्य के लिए इस संयोग का स्वरूप क्या और कैसा हो?
सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि, गुरुपुष्यामृत और रविपुष्यामृत योग। यदि सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा तथा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होता है। शुभ मुहूर्तों में सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है- गुरु-पुष्य योग। यदि गुरुवार को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में हो तो इससे पूर्ण सिद्धिदायक योग बन जाता है। जब चतुर्दशी सोमवार को और पूर्णिमा या अमावस्या मंगलवार को हो तो सिद्धिदायक मुहूर्त होता है।
विशुभ मुहूर्त में क्या करें
• गर्भाधान, पुंसवन, जातकर्म-नामकरण, मुंडन, विवाह आदि संस्कार।
• भवन निर्माण में मकान-दुकान की नींव, द्वार, गृहप्रवेश, चूल्हा भट्टी आदि का शुभारंभ।
• व्यापार, नौकरी आदि आय प्राप्ति के साधनों का शुभारंभ।
• पवित्रता हेतु किए जाने वाले स्नान।
• यात्रा और तीर्थ आदि जाने के लिए भी शुभ मुहूर्त को देखा जाता है।
• स्वर्ण आभूषण, कीमती वस्त्र आदि खरीदना, पहनना।
• वाहन खरीदना, यात्रा आरम्भ करना आदि।
• मुकद्दमा दायर करना, ग्रह शान्त्यर्थ रत्न धारण करना आदि।
इस समय में ना करें मांगलिक कार्य
- • पंचकों में ये कार्य निषेध माने गए हैं- श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तरा भाद्रप्रद तथा रेवती नक्षत्रों में पड़ने वाले पंचकों में दक्षिण की यात्रा, मकान निर्माण, मकान छत डालना, पलंग खरीदना-बनवाना, लकड़ी और घास का संग्रह करना, रस्सी कसना और अन्य मंगल कार्य नहीं करना चाहिए। किसी का पंचकों में मरण होने से पंचकों की विधिपूर्वक शांति अवश्य करवानी चाहिए।
- • बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए है। ऐसे में शुभ कार्यों से बचना चाहिए। जैसे विवाह करना, मकान खरीदना, गृह प्रवेश आदि। रवि तथा गुरु पुष्य योग सर्वार्थ सिद्धिकारक माना गया है।
- • रविवार, मंगलवार, संक्राति का दिन, वृद्धि योग, द्विपुष्कर योग, त्रिपुष्कर योग, हस्त नक्षत्र में लिया गया ऋण कभी नहीं चुकाया जाता। अंत: उक्त दिन में ऋण का लेना-देना भी निषेध माना गया है।
विवाह के लिए
रोहिणी, मृगशिरा, मघा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद एवं रेवती शुभ हैं।
दैनिक जीवन में शुभता व सफलता प्राप्ति हेतु नक्षत्रों का उपयोगी एवं व्यावहारिक ज्ञान बहुत जरूरी है। वास्तव में सभी नक्षत्र सृजनात्मक, रक्षात्मक एवं विध्वंसात्मक शक्तियों का मूल स्रोत हैं। अतः नक्षत्र ही वह सद्शक्ति है जो विघ्नों, बाधाओं और दुष्प्रभावों को दूर करके हमारा मार्ग दर्शन करने में सक्षम है।
मकान खरीदना
बना-बनाया मकान खरीदने के लिए मृगशिरा, आश्लेषा, मघा, विशाखा, मूल, पुनर्वसु एवं रेवती नक्षत्र उत्तम हैं।