-: कामाख्या मंदिर :-
नीलाचल पव॑त परस्थितहै।यहमंदिरशक्तिकीदेवीसतीकामंदिरहै।यहमंदिरएकपहाड़ीपरबनाहै इसकामहत्तांत्रिकमहत्वहै। प्राचीनकालसेसतयुगीनतीर्थकामाख्यावर्तमानमेंतंत्रसिद्धिकासर्वोच्चस्थल है
नीलशैल पर्वतमालाओं परस्थितमांभगवतीकामाख्याकासिद्धशक्तिपीठसतीकेइक्यावनशक्तिपीठोंमेंसर्वोच्चस्थानरखताहै।यहींभगवतीकीमहामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थितहै।
-: अम्बुवाची पर्व :-
अम्बूवाची योग पर्व वस्तुत एक वरदान है। यह अम्बूवाची पर्व भगवती (सती) का रजस्वला पर्व होता है। पौराणिक शास्त्रों एवम आचार्य अतुल योगराज ज्योतिषाचार्य , मां कामाख्या साधक के अनुसार;
सतयुग में यह पर्व 16 वर्ष में एक बार, द्वापर में 12 वर्ष में एक बार, त्रेता युग में 7 वर्ष में एक बार तथा कलिकाल में प्रत्येक वर्ष जून माह (आषाढ़) में तिथि के अनुसार मनाया जाता है। यह एक प्रचलित धारणा है कि देवी कामाख्या मासिक धर्म चक्र के माध्यम से तीन दिनों के लिए गुजरती है, इन तीन दिनों के दौरान, कामाख्या मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस पर्व में तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना हेतु सभी प्रकार की सिद्धियाँ एवं मंत्रों के पुरश्चरण हेतु उच्च कोटियों के तांत्रिकों-मांत्रिकों, अघोरियों का बड़ा जमघट लगा रहता है। तीन दिनों के उपरांत मां भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा एवं साधना की जाती है।
अम्बूवाची योग पर्व के दौरान मां भगवती के गर्भगृह के कपाट स्वत ही बंद हो जाते हैं और उनका दर्शन भी निषेध हो जाता है
इस बार अम्बूवाची योग पर्व जून की 22, 23, 24 तिथियों में मनाया जाएगा
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